Wednesday, 2 May 2018

Supreme Court Disagree Over Aadhaar Act As Money Bill - आधार कानून को मनी बिल करार देने पर सहमत नहीं दिख रहा सुप्रीम कोर्ट

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सुप्रीम कोर्ट बुधवार को केंद्र सरकार के उस तर्क से सहमत नहीं दिखा जिसमें सरकार ने आधार कानून को लोकसभा अध्यक्ष द्वारा मनी बिल करार देने को सही बताया। सरकार ने कहा कि इसके जरिए सब्सिडी को लक्षित वर्ग को वितरित किया जाता है। यह पैसा भारत के संचित निधि से आता है। 

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने आधार एक्ट की धारा 57 का उल्लेख किया। इसमें कहा गया है कि कोई भी राज्य या व्यक्ति या कारपोरेट संस्था किसी भी उद्देश्य के लिए किसी व्यक्ति की पहचान के लिए आधार नंबर का इस्तेमाल कर सकता है। समस्या इसी धारा को लेकर उत्पन्न होती है। धारा 57 धारा 7 और सब्सिडी के वितरण, फायदों तथा सेवाओं से अलग करता है। 

कोर्ट ने आधार कानून को मनी बिल नहीं कहे जाने के संकेत दिए। सुप्रीम कोर्ट का यह रुख अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल के वरिष्ठ वकीलों पी. चिदंबरम समेत अन्य वकीलों के हलफनामे के जवाब पर आया। 

चिदंबरम समेत अन्य वकीलों ने कहा था कि आधार कानून को लोकसभा अध्यक्ष द्वारा मनी बिल करार नहीं दिया जा सकता है क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 110 (मनी बिल की परिभाषा) के शर्तों के अनुरूप नहीं है। 



सुप्रीम कोर्ट बुधवार को केंद्र सरकार के उस तर्क से सहमत नहीं दिखा जिसमें सरकार ने आधार कानून को लोकसभा अध्यक्ष द्वारा मनी बिल करार देने को सही बताया। सरकार ने कहा कि इसके जरिए सब्सिडी को लक्षित वर्ग को वितरित किया जाता है। यह पैसा भारत के संचित निधि से आता है। 


प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने आधार एक्ट की धारा 57 का उल्लेख किया। इसमें कहा गया है कि कोई भी राज्य या व्यक्ति या कारपोरेट संस्था किसी भी उद्देश्य के लिए किसी व्यक्ति की पहचान के लिए आधार नंबर का इस्तेमाल कर सकता है। समस्या इसी धारा को लेकर उत्पन्न होती है। धारा 57 धारा 7 और सब्सिडी के वितरण, फायदों तथा सेवाओं से अलग करता है। 

कोर्ट ने आधार कानून को मनी बिल नहीं कहे जाने के संकेत दिए। सुप्रीम कोर्ट का यह रुख अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल के वरिष्ठ वकीलों पी. चिदंबरम समेत अन्य वकीलों के हलफनामे के जवाब पर आया। 

चिदंबरम समेत अन्य वकीलों ने कहा था कि आधार कानून को लोकसभा अध्यक्ष द्वारा मनी बिल करार नहीं दिया जा सकता है क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 110 (मनी बिल की परिभाषा) के शर्तों के अनुरूप नहीं है। 





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