अनूप कुमार मिश्र, नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश, राजस्थान और तमिलनाडु में छोटी लाइन यानी मीटर गेज पर दौरान दौड़ने वाली कई ट्रेनों का परिचालन रात में नहीं होगा. इसके पीछे मकसद मानव रहित क्रॉसिंग पर हादसों को रोकना है. अनुमान है कि इस फैसले के चलते रोजाना करीब 73 ट्रेने प्रभावित होंगी. रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश के कुशी नगर में ट्रेन और स्कूल बस के बीच हुई टक्कर में 13 बच्चों की मौत के बाद रेलवे ने हादसों को रोकने के लिए नए सिरे से रणनीति तैयार करना शुरू की है. इसी रणनीति के तहत मीटर गेज ट्रैक पर स्थिति जिन दो स्टेशनों के बीच मानव रहित फाटक हैं, वहां पर रात के दौरान ट्रेनों का परिचालन नहीं होगा. प्रभावित होने वाले सेक्शन में उत्तर प्रदेश में वृंदावन-मथुरा सेक्शन और पीलीभीत सेक्शन भी शामिल है. उन्होंने बताया कि प्रस्ताव को रेलवे मंत्रालय भेजा गया है. मंत्रालय से इजाजत मिलते ही इस फैसले को लागू कर दिया जाएगा.
1000 किमी के दायरे में हैं 1135 मानव रहित क्रॉसिंग
रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार देश के 11 सेक्शन में मीटर गेज पर ट्रेनों का परिचालन किया जा रहा है, जिनकी अधिकतम रफ्तार करीब 75 किमी प्रति घंटा है हादसों से बचने के लिए निर्णय किया गया है कि इन सेक्शन में सिर्फ दिन के समय में ही ट्रेनों का परिचालन किया जाएगा. निर्णय के तहत कुछ ट्रेनों को रद करने और कुछ के मार्गों को परिवर्तित करने का फैसला किया गया है. उन्होंने बताया इस फैसले के तहत मीटर गेज का करीब एक हजार किलोमीटर का ट्रैक प्रभावित होगा. जिसमें करीब 1135 मानव रहित क्रॉसिंग मौजूद हैं.
देश में हैं कुल 5792 मानव रहित क्रॉसिंग
भारतीय रेल नेटवर्क में वर्तमान समय में कुल 5792 मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग हैं. इसमें 3479 ब्राड गेज, 1135 मीटर गेज और 1178 नैरो गेज में हैं. नैरोगेज ट्रैक ज्यादातर पहाडी इलाकों में है. जहां टेनों का परिचालन बेहद सीमित रफ़तार में किया जाता है. इस कारण मौजूदा योजना में रेलवे ने नैरो गेज ट्रैक पर मौजूद मानव रहित क्रॉसिंग को खत्म करने के लिए अभी योजना तैयार नहीं की है.
2020 तक मानव रहित क्रॉसिंग खत्म करने का लक्ष्य पाना मुश्किल
भारतीय रेलवे ने एक तरफ ब्राड गेज पर स्थित 3479 मानव रहित क्रॉसिंग को 2020 तक खत्म करने का लक्ष्य रखा है. वहीं दूसरी तरह रेलवे युद्ध स्तर पर मीटर गेज की लाइनों को ब्रांड गेज में परिवतर्ति कर कर रहा है. लिहाजा, जैसे-जैसे मीटर गेज की लाइने ब्राड गेज में परिवर्तित होती जाएंगी, मीटर गेज स्थित 1135 मानव रहित क्रॉसिंग सिलसिलेवार तरीके से ब्राड गेज में शामिल होती जाएंगी. इसे देखते हुए रेलवे के अधिकारियों का मानना है कि 2020 तक ब्रांड गेज को मानव रहित क्रॉसिंग से मुक्त करने संबंधी योजना की समय सीमा आगे बढ सकती है.
हाई स्पीड कारिडोर पर जून तक खत्म होगी मानव रहित क्रॉसिंग
रेलवे के अधिकारी के अनुसार हादसों को ध्यान में रखते हुए उन लाइनों को प्राथमिकता दी जा रही है, जिसमें हाईस्पीड ट्रेन या सबअर्बन ट्रेनों का परिचालन किया जा रहा है. लक्ष्य है कि जून 2018 तक इन कॉरिडोर पर स्थित सभी मानव रहित क्रॉसिंग को खत्म कर दिया जाए. रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्वनी लोहानी के अनुसार 2017-18 में हमने 1565 मानव रहित क्रॉसिंग को खत्म करने का लक्ष्य रखा था. इस लक्ष्य में इस वर्ष 1500 मानव रहित अन्य क्रॉसिंग को जोडा गया है. उन्होंने बताया कि 31 मार्च 2018 के बाद सिर्फ 400 मानव रहित ऐसी क्रॉसिंग बचेंगी, जहां से रोजाना एक या दो ट्रेनें गुजरती हैं. 31 मार्च 2020 के बाद इन मानव रहित क्रॉसिंग को भी चरणवद्ध तरीके से खत्म कर दिया जाएगा.
ट्रेन हादसों में आई कमी
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्वनी लोहानी के अनुसार बीते कुछ वर्षों में रेलवे के बुनियादी ढांचे को मजबूत कर हादसों में कमी लाई गई है. उन्होंने बताया कि 2014-2015 में जहां हादसों की संख्या 135 थी, वहीं 2017-18 में यह संख्या घट कर 73 हो गई है.
ऑस्ट्रेलिया की कुल आबादी के बराबर है ट्रेनों में रोजाना यात्रा करने वाले वाले यात्रियों की संख्या
भारतीय ट्रेनों में रोजाना सफर करने वाले यात्रियों की संख्या ऑस्ट्रेलिया जैसे देश की आबादी के बराबर है. जी हां, मौजूदा समय में भारतीय रेल में रोजाना 23 मिलियन से अधिक यात्री सफर करते हैं. इन यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचाने के लिए रोजाना 12 हजार यात्री ट्रेन सात हजार स्टेशनों के बीच दौड़ती हैं.
मानव रहित क्रॉसिंग में कब कितने हादसे
2014-15 - 50
2015-16 - 29
2016-17 - 20
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