अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में जिन्ना की तस्वीर को लेकर हुए बबाल के बाद सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाह के कारण इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई है। जिलधिकारी ने शुक्रवार दोपहर 2 बजे से 5 मई रात्रि 12 बजे तक के लिए इंटरनेट सेवा प्रतिबंधित की हैं।
अलीगढ़ के अपर जिलाधिकारी ने आदेश दिए हैं कि कोई भी व्यक्ति सोशल मीडिया पर यानि फेसबुक, व्हाट्सएप, ट्वीटर अथवा अन्य किसी एेप पर कोई ऐसा पोस्ट नहीं करेगा और न ही किसी ऐसे वस्तु या सामग्री को फारवर्ड या शेयर करेगा जिससे साम्प्रदायिक उन्माद को बढ़ावा मिलता हो। उन्होंने कहा कि कोई भी ऐसा पोस्ट ना डाला जाए जो साम्प्रदायिक समरसता को क्षति पहुचांता हो, साम्प्रदायिक सौहार्द पर विपरीत प्रभाव पड़ता हो या शांति व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हो।
उन्होंने कहा कि यदि कोई इन आदेशों का उल्लंघन करते हुए ऐसा करता है तो उसके विरुद्ध आईपीसी की धारा के तहत साम्प्रदायिक उन्माद भड़काने एवं साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के कारण राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि वह पुन: स्पष्ट करते हुए कहना चाहते हैं कि मूलतः पोस्ट करने वाले तथा फॉरवर्ड करने वाले दोनों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी।
एएमयू कुलपति पर 51 रुपये का इनामएएमयू में हुए बवाल के 24 घण्टे बाद भी कुलपति घटनास्थल तक नहीं आये। इसे लेकर छात्रों में बेहद आक्रोश था। इसी के चलते कुलपति के फोटो को सोशल मीडिया पर वायरल करते हुए 51 रुपये का इनाम घोषित किया गया है। एक फेसबुक आईडी से वायरल फोटो में उनको मिसिंग करार देते हुए धरना स्थल तक पहुंचाने वाले को 51 रुपये के इनाम की घोषणा की गई है। इस पर भी तरह-तरह के कमेंट आ रहे हैं।
गैरतलब है कि एएमयू में जिन्ना की तस्वीर लगी होने के कारण दो दिन पहले ही छात्रों और हिंदू संगठन के सदस्यों के बीच झड़प हुई थी। हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं ने भारत माता की जय और वंदे मातरम के नारे लगाते हुए एएमयू कैंपस में घुसने की कोशिश की थी। पूरे मामले को शांत कराने में पुलिस को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा। इसके बाद क्षेत्र में RAF की 2 कंपनी तैनात की गईं।
वहीं छात्रों ने भी परीक्षा देने से इंकार कर दिया और कहा कि जिन पुलिस वालों ने उन पर लाठी चार्ज किया है उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। जबकि पुलिस वालों ने ऐसे किसी भी लाठीचार्ज से इंकार कर दिया था।
मामले की शुरुआत तब हुई जब जिन्ना की तस्वीर लगी होने पर सांसद सतीश कुमार गौतम भड़क गए थे। उन्होंने कुलपति प्रो. तारिक मंसूर को पत्र भेजकर यह तस्वीर लगाने का औचित्य पूछा था। दूसरी ओर एएमयू के जनसंपर्क कार्यालय ने उन्हें जवाब देते हुए कहा था कि यह तस्वीर छात्रसंघ भवन में लगी है। एएमयू प्रशासन छात्रसंघ के कार्यों में दखल नहीं देता। उन्होंने कहा था कि विभाजन से पहले वर्ष 1938 में मोहम्मद अली जिन्ना एएमयू में आए थे, उन्हें छात्रसंघ ने मानद सदस्यता दी थी। छात्रसंघ ने जिन लोगों को मानद सदस्यता दी है, उनकी तस्वीरें छात्रसंघ भवन में लगवाई गई हैं।
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