Monday, 10 September 2018

मिसाल: 72 की उम्र में बस्ता टांगकर पहुंचे स्कूल

सीखने की कोई उम्र नहीं होती और सपनों को पूरा करने के लिए भी वक्त नहीं देखा जाता। 72 साल के मुकुंद चारी कभी अंग्रेजी की वजह से अपना ग्रैजुएशन नहीं पूरा कर पाए थे। आज वह उसी इंग्लिश लिटरेचर में डिग्री के लिए दोबारा स्कूल की ओर चल पड़े हैं। मुकुंद ने दोबारा स्कूल जाने का फैसला लिया है ताकि वह अपने इंग्लिश लिटरेचर में डिग्री हासिल करने का सपना सच कर सकें।

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