
कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों. इन पंक्तियों की तरह ही इन चार दोस्तों की कहानी है. जी हां, इन्होंने मिलकर खोली है एक चाय की दुकान. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इन चारों युवाओं ने किसी मजबूरी के तहत नहीं बल्कि अपनी मर्जी से खोली है चाय की दुकान. सभी एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करते हैं और एक-दूसरे को आगे भी बढ़ा रहे हैं. देश में जिस तरह से बेरोजगारी बढ़ रही है, इन्होंने तय किया कि ये अपने घर-परिवार से दूर जाकर रोजगार नहीं तलाशेंगे. सभी चार मित्रों ने मिलकर एक योजना बनाई, जिस पर वो लगातार काम कर रहे हैं. दरअसल इंजिनियरिंग डिग्रीधारी इन चारों युवाओं के दिल में कुछ करने का जुनून और आगे बढ़ने की लगन थी. इन युवाओं ने मिलकर एनआईटी कॉलेज के गेट पर एक चाय की दुकान खोली. इनका मानना है कि कुछ ऐसे काम किए जाए, जिससे उनके साथ औरों को भी रोजगार मिल सके और उनके परिवार की समस्याएं भी दूर हो सकें. इन युवाओं ने उन तमाम बेरोजगारों के लिए मिसाल पेश की है, जो आज बेरोजगारी से लड़ाई लड़ रहे हैं. अपने कर्तव्यों को निभाते हुए ये युवा एक ऐसा राह तैयार कर रहे हैं, जो दूसरे युवाओं के लिए आदर्श रास्ता बन सकता है. इनकी दुकान पर एक, दो, तीन, चार, पांच नहीं बल्कि 50 किस्मों की चाय और ठंडई मिलती है. ये सभी एक-दूसरे की ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए पूरी शिद्दत के साथ जुटे हुए हैं.
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