नई दिल्ली : वह एक नहीं, दो-दो बार जिस्म की मंडी में बेची गई। पहली बार नौकरी के नाम पर। दूसरी बार शादी के नाम पर। दोनों ही बार इस दलदल में फंसाने वाली मियां-बीवी की एक ही जोड़ी। अब बेटी पर भी है जिस्म के सौदागरों की गिद्ध नजर। 13 साल की उम्र में जिस्मफरोशी के दलदल में धकेली गई महिला 21 साल बाद इंसाफ की गुहार लगा रही है। अपनी जिंदगी को जहन्नुम बनाने वाले पति-पत्नी की जोड़ी को सलाखों के पीछे पहुंचाने की लड़ाई शुरू की है। मूल रूप से कर्नाटक की रहने वाली रेशमा (बदला हुआ नाम) जब 13 साल की थी तब एक महिला ने उसे एक शॉल दिखाया। शॉल पर खूबसूरत कढ़ाई की गई थी। महिला ने रेशमा के सामने पेशकश की कि वह भी ऐसी ही कढ़ाई करके पैसे कमा सकती है। लेकिन इसके लिए दिल्ली चलना होगा जहां इसकी फैक्ट्री है। कभी स्कूल का मुंह तक न देखने वाली रेशमा बहुत ही गरीब परिवार से थी। महिला ने ऐसे सब्जबाग दिखाए कि वह उसकी जाल में फंस गई। आंखों में बड़े सपने लेकर वह महिला के साथ कर्नाटक के अपने गांव से दिल्ली आ गई। दिल्ली में ट्रेन से उतरने के बाद महिला उसे अपनी बहन के घर ले गई जहां उसे नए कपड़े पहनाए गए। रेशमा ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, 'उसके बाद वे मुझे एक ब्यूटी पार्लर ले जाया गया जहां मुझे सजाया-संवारा गया। मुझे लगा कि हम लोग किसी की शादी में जा रहे हैं। लेकिन मुझे तब सदमा लगा जब मुझे जीबी रोड के एक वेश्यालय पर ले जाया गया। जब मैं महज 13 साल की थी, उन्होंने मुझे वेश्यावृत्ति में धकेल दिया। एक दिन में मुझे 50-60 लोगों के साथ हमबिस्तर होना पड़ता था।' जब भी वह विरोध करती, महिला और उसके पति उसकी पिटाई करते और जान से मारने की धमकी देते। पहली बार जब वह जीबी रोड ले जाई गई, उसके 8 महीने बाद एक दिन पुलिस का छापा पड़ा और उसे छुड़ा लिया गया। पुलिस ने उसे कर्नाटक के उसके गांव भेज दिया। बाद में उसी औरत ने रेशमा से एक बार फिर संपर्क किया। इस बार अच्छे घर में शादी कराने का झांसा दिया। एक बार फिर दिल्ली लाई गई। एक बार फिर वेश्यावृत्ति के दलदल में धकेली गई। रेशमा बताती हैं, 'मेरा तीन बार गर्भपात कराया गया। बाद में मैंने एक बच्ची को जन्म दिया जो अब 9 साल की है। उसके जन्म के बाद मैं दो सालों तक उसका चेहरा तक नहीं देख पाई। वे मेरी बेटी को अपने घर लेकर चले गए। उसे साल-डेढ़ साल में एक दो दिन के लिए ही मेरे पास भेजते थे। उनकी गिद्ध नजर मेरी बेटी पर भी थी। उन्होंने मुझसे कहा कि जब मेरी बेटी बड़ी हो जाएगी तो उसे भी जिस्मफरोशी के धंधे में उतरने के लिए मजबूर करेंगे।' करीब 7 महीने पहले रेशमा किसी तरह अपनी बेटी के साथ जीबी रोड से निकलने में कामयाब हुई। वह आगे बताती है, 'जब भी पुलिस के छापे पड़ते थे, वे हमें दीवार या फर्श के पीछे बने छोटे से सीक्रेट रूम में छिपा देते थे। वहां सांस लेना भी मुश्किल था क्योंकि न कोई फैन था और न ही किसी तरह का वेंटिलेशन।' रेशमा ने 2 सितंबर को कमला नगर पुलिस स्टेशन में आरोपियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। वह कहती है, 'मुझसे 21 साल तक जबरन जिस्मफरोशी कराया गया। मेरी जिंदगी बर्बाद हो गई। मैं चाहती हूं कि जिस जोड़े ने मुझे वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर किया, उन्हें गिरफ्तार किया जाए।' रेशमा ने हाल ही में दिल्ली महिला आयोग को अपनी दर्दभरी दास्तां बताई। उसके बाद आयोग ने बुधवार को दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया। रेशमा को इंसाफ की लड़ाई में दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालिवाल का साथ मिला है। मालिवाल कहती हैं, 'महिला को भयानक स्थितियों का सामना करना पड़ा और यह पूरे सिस्टम का दोष है। दिल्ली के पास कोई पुनर्वास नीति नहीं है और दिल्ली महिला आयोग इस दिशा में काम कर रहा है। आयोग उस महिला को नई जिंदगी देने की कोशिश करेगी और दूसरी पीढ़ी को वेश्यावृत्ति में जाने से रोकेंगे। इस मामले में हम कंपनियों और दूसरो की मदद करने की चाहत रखने वालों की मदद लेंगे।'
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