नई दिल्ली: आज बात एक रोमन तानाशाह की जिसकी चर्चा अचानक पूरी दुनिया में होने लगी है। वो भी ऐसे तानाशाह की कहानी जो ईसापूर्व पांचवी सदी में राज करता था। ये मसाला दिया है पूर्व ब्रितानी पीएम बोरिस जॉनस ने। उन्होंने अपने विदाई भाषण में कहा- मैं एक बूस्टर रॉकेट की तरह हूं जिसने अपना काम पूरा कर लिया है, अब मैं धीरे-धीरे धरती के वातावरण में दोबारा घुस रहा हूं और जल्दी ही कहीं किसी कोने में लैंड करूंगा। सिनसिनाटस की तरह मैं अपने फार्म की तरफ लौट रहा हूं लेकिन इस सरकार को पूरा समर्थन दूंगा। इस सरकार से मतलब ब्रिटेन की नई प्रधानमंत्री लिज ट्रस से है। ट्रस ने इन्फोसिस के संस्थापक नारायणमूर्ति के दामाद ऋषि सुनक को हराकर ये कुर्सी हासिल की है। ये कुर्सी के इस्तीफे से खाली हुई थी क्योंकि कंजर्वेटिव पार्टी में ही उनके खिलाफ विद्रोह हो गया था। कंजर्वेटिव पार्टी के सदस्यों ने पार्टी के नए नेता या कहिए पीएम के लिए वोटिंग की। कुल एक लाख 72 हजार 437 वोट पड़े। लिज ट्रस को 81,326 वोट मिले और ऋषि सुनक को 60,399। मतलब भारतीय मूल के सुनक 20927 वोटों से इतिहास बनाने से चूक गए। वो तो चूक गए लेकिन जाते-जाते बोरिस जॉनसन ने विदाई भाषण में सिनसिनाटस का जिक्र कर चौंका दिया है। ऐसा पहली बार नहीं है जब बोरिस जॉनसन ने सिनसिनाटस का जिक्र किया है। इससे पहले 2009 में उन्होंने कहा था - माइकल हेसेलटाइन के अमिट शब्दों के मुताबिक मुझे निकट भविष्य में नहीं लगता कि देश को सेवा देने का कोई मौक मिलेगा। अगर सिनसिनाटस की तरह मुझे कोई मेरे खेत से बुला ले तो स्वाभाविक तौर पर मैं मदद करने से मना नहीं कर पाऊंगा। आखिर कौन था ये सिनसिनाटस? ये व्हिसलब्लोअर एडवर्ड स्नोडन का भी कोडनेम था जिसने अमेरिकी खुफिया फाइलें लीक कर तहलका मचा दिया था। कौन था सिनसिनाटस लुसियस क्विंकटियस सिनसिनाटस दमकते रोमन साम्राज्य का राजा था। ईसापूर्व पांचवी सदी में उसके राजकाज को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। फ्रांसीसी ट्रैवलर जैक पियरे ब्राइसॉट ने अमेरिका के पहले राष्ट्रपति जॉर्ज वॉशिंगटन की तुलना सिनसिनाटस से की थी। ब्राइसॉट ने कहा था - ये लोकप्रिय जनरल एक अच्छे किसान की तरह है जिसे अपनी जमीन और फसल की लगातार चिंता रहती है। मतलब ये तुलना शासन करने के तरीके से है। कैसे जॉर्ज वॉशिंगटन अमेरिकी लोगों के लिए कुछ भी करने को तैयार थे। यही कहानी सिनसिनाटस की है। पांचवीं सदी में एक्विएन्स को रोम का दुश्मन माना जाता था। वो शहर पर हमले की तैयारी कर रहे थे। एकुाई लड़ाके रोम में घुसने को तैयार थे। ईसापूर्व 458 में रोम संकट के मुहाने पर था। रोम की सेना में वो ताकत नहीं थी। इसका सेनापति लुसियस ऑगुरिनस था। दुश्मनों ने उसे रोम के दक्षिण में अल्बान की पहाड़ियों में ट्रैप कर लिया। अब इस संकट से निपटने के लिए रोमन सिनेट ने सिनसिनाटस से गुहार लगाई जो रोम से काफी दूर एक सामान्य जिंदगी जी रहा था। लेकिन सिनेट ने उसे तानाशाह जैसी पूरी ताकत देने का फैसला किया। जब सिनसिनाटस को ये संदेशा मिला तब वो अपने खेत में ही काम कर रहा था। उसने हल और हेंगा वहीं छोड़ दी। भागा-भाग रोम पहुंचा। आते ही असेंबली में उसका जबर्दस्त स्वागत हुआ। उसने सभी राजकीय और निजी कारोबार को बंद करने का आदेश सुनाया। लड़ने लायक सभी लोगों को पांच दिनों के राशन के साथ तैयार रहने का फरमान जारी हुआ। जबर्दस्त लड़ाई हुई और एक्विएन्स की करारी हार हुई। महान सिनसिनाटस ने इस जीत के 15 दिनों बाद ही रोम की ताकत का मोह त्याग दिया और वापस अपनी खेत की तरफ चल दिए। कुछ कहानियों के मुताबिक 21 साल बाद 439 ईसापूर्व में फिर से रोम पर खतरा मंडराया। प्लेबियन स्पूरियस मैलिअस ने सिनेट व्यवस्था खत्म कर राजा बनने की साजिश रची। प्लेबियन से चौंकिए मत, रोम के कुलीनों को इसी नाम से पुकारा जाता था। एक साल पहले ही रोम में भीषण अकाल पड़ा। राशन खत्म होने लगे। तभी मैलिअस ने अपना खजाना खोल दिया। मुफ्त गेहूं बांटे जाने लगे। वो इसी बहाने लोगों का समर्थन हासिल कर रहा था। सिनसिनाटस वापस आता है। उसने मैलिअस को पेश होने का हुक्म जारी किया। इसे ठुकरा दिया गया। तब सिनसिनाटस उसकी मौत का फरमान जारी करता है। इतिहासकार सिसरो के मुताबिक घुड़सवार सेना के महारथी सर्विलियस अला ने मैलिअस को मौत की सजा दी। इस बार फिर दुश्मन को कुंद कर सिनसिनाटस वापस लौट गया। अब राजनीतिक पंडितों ने बोरिस जॉनसन की चाल को इसी से जोड़ कर देखना शुरू कर दिया है। दरअसल बोरिस जॉनसन ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में प्राचीन इतिहास के छात्र थे और रोमन साम्राज्य उनके सिलेबस में शामिल था। सिनसिनाटस का जिक्र इसीलिए उन्होंने अपने विदाई भाषण में किया। मतलब कि वो एक बार फिर पीएम रेस में शामिल हो सकते हैं। सिनसिनाटस को जिस तरह से जॉनसन से ग्लोरिफाई किया है उससे सारा जहां सहमत नहीं है। इतिहासकार मैरी बियर्ड ने ट्वीट कर कहा है कि वो रोम के आम लोगों का दुश्मन था। रोम के लोगों को ऐसा व्यक्ति पसंद नहीं था जिसके पास असीमित अधिकार हों। लेकिन आगे चलकर इतिहास में वो एक ऐसे शासक के तौर पर प्रसिद्ध हुआ जिसे कुर्सी का मोह नहीं था और जिसने रोम की आन-बान-शान कायम रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
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