भारत के शीर्षतम नेताओं में से एक वाजपेयी ने अपने हजारों प्रशंसकों और शुभचिंतकों के साथ अंतिम यात्रा के लिए घर छोड़ दिया। यह वह मौका था, जब शायद ही कोई अपनी आंखों को नम होने से रोक पाया। वाजपेयी के पार्थिव शरीर को अग्नि दिए जाने से एक घंटे पहले सुबह की भीड़ इस आवास से छंट चुकी थी।from Navbharat Times https://ift.tt/2BnyGrA

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